रायपुर। विगत दिवस कुछ न्यूज पोर्टलों में भिलाई स्थित नामीगिरामी स्कूल में छात्रा के साथ घिनौनी हरकत के संबंध में खबर प्रकाशित किया गया है।

विदित हो के उपरोक्त तथाकथित घटना तीन सप्ताह पुरानी है और यह खबर रायपुर के किसी पत्रकार की और से है, जबकि भिलाई के किसी भी मीडिया ने इसमें रुचि नहीं दिखाई है।

दुर्ग पुलिस के सभी अधिकारियों ने संवेदनशीलता दिखाते हुए सूचना मिलने पर तत्काल बच्ची के परिजनों और स्कूल के स्टाफ से पूछताछ की। पुलिस व्दारा मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुये बिना किसी लिखित सूचना के ही महिला एवं बालक विरूद्ध अपराध इकाई की टीम से मामले की जांच कराई गयी। टीम व्दारा जांच के दौरान बच्ची के माता-पिता एवं बच्ची से मिलकर पूछताछ किया गया। स्कूल का सीसीटीवी फूटेज चेक किया गया एवं भविष्य के लिये सीसीटीवी फूटेज को सुरक्षित भी रखा गया। बच्ची के क्लास टीचर, प्रधान अध्यापिका एवं आया से घटना के संबंध में गहन पूछताछ किया गया। इसके अलावा इस मामले से जुड़े चिकित्सकों से इसके सन्दर्भ में पूछताछ कर पूरी जानकारी ली गई। तब उनके व्दारा बच्ची के साथ प्रथम दृष्टया कोई दुष्कर्म नहीं होना बताया गया। इस सन्दर्भ में बच्ची के परिजनों को लिखित आवेदन/शिकायत देने हेतु भी कहा गया ताकि और विस्तृत जांच की जा सके, परन्तु उनके व्दारा इसके सन्दर्भ में किसी प्रकार का सन्देह नहीं जताते हुये आवेदन/शिकायत नहीं दिया गया है, अपितु किसी भी प्रकार की जांच नहीं चाहने का अनुरोध किया गया है।

इस वक्त दुर्ग पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों की न्यायपूर्वक कार्यशैली से पूरा प्रदेश वाकिफ है, फिर भी तथाकथित गुमनाम पत्रकार द्वारा इन अधिकारियों का स्कूल के दबाव में काम करने का आरोप लगाना हास्यप्रद प्रतीत होता है। पत्रकार द्वारा झूठ तथ्य लिखा गया है के परिजनों ने बाल आयोग में शिकायत की है।

इससे यह प्रतीत होता है के इस प्रकाशन के पीछे पत्रकार या किसी की स्कूल या दुर्ग पुलिस के अधिकारियों को ब्लैकमेल करने या बदनाम करने की मंशा है। वैसे भी आज कल बिना किसी भी संस्था या व्यक्ति विशेष का नाम लिए खबरें छपना कुछ पत्रकारों का यह धंधा ही बन गया है।