गाजा में निर्दोषों के कत्लेआम पर इजरायली सेना दुनिया के निशाने पर है।

एक तरफ अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत बेंजामिन नेतन्याहू समेत कई शीर्ष इजरायली अधिकारियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट लाने की तैयारी कर रही है।

दूसरी तरफ अमेरिका ने दावा किया है कि इजरायल की पांच बटालियन ने क्रूरता की हदें पार की हैं। यह मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है।

हालांकि अमेरिका का कहना है कि ये गाजा पर हमले से बहुत पहले की बात हैं और पांच में से आईडीएफ की चार इकाईयों ने अपने को सुधार भी लिया है।
 
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता वेदांत पटेल ने सोमवार को संवाददाताओं को जानकारी दी कि पिछले साल अक्टूबर में इजरायल और हमास के बीच युद्ध शुरू होने से पहले गाजा के बाहर हुई घटनाओं में मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन हुआ है।

जिसके लिए इजरायली सेना की पांच बटालियन जिम्मेदार हैं। पटेल ने कहा कि चार इकाइयों ने तो उल्लंघनों को प्रभावी ढंग से सुधार लिया है, जबकि इजरायल ने पांचवीं इकाई के संबंध में नई जानकारी सामने आई है और अमेरिका सरकार के साथ बातचीत जारी रख रहा है।

हथियारों की सप्लाई पर होगा असर?
हालांकि पटेल ने साफ किया कि इजरायली बलों को लेकर आई इन शिकायतों के बावजूद अमेरिकी हथियारों की बिक्री प्रभावित नहीं होगी और हम इजरायल को हथियारों की सप्लाई देते रहेंगे।

उन्होंने इस बारे में अधिक जानकारी देने से इनकार कर दिया कि मानवाधिकारों का क्या उल्लंघन किया गया है और कौन सी इकाइयां इसमें शामिल थीं।

बता दें कि पिछले महीने अमेरिका ने इजरायल की एक बटालियन नेत्ज़ाह येहुदा को बैन करने की बात कही थी। इस बटालियन पर राफा शहर में निर्दोष फिलिस्तीनियों के खिलाफ घोर अत्याचार की कंप्लेन आई थी।

पटेल ने कहा , “हमने पांच इजरायली इकाइयों को मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन के लिए जिम्मेदार पाया हैं। हालांकि ये सभी घटनाएं 7 अक्टूबर से बहुत पहले की थीं और गाजा में कोई भी घटना नहीं हुई थी।” 

गौरतलब है कि इजरायल और आतंकी गुट हमास के बीच पिछले साल 7 अक्टूबर से शुरू हुए युद्ध में हजारों लोग मारे जा चुके हैं। पहले हमास आतंकियों ने इजरायल पर हवाई हमले करके 1200 लोगों को मार डाला।

इसके अलावा 250 से अधिक लोगों को बंधक बना लिया। अभी भी हमास के पास 100 से अधिक इजरायली कैद में हैं।

उधर, जवाबी कार्रवाई और अपने लोगों को वापस लाने के लिए इजरायली सेना गाजा और राफा में ऑपरेशन चला रही है। इसमें 34 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। जिनमें ज्यादा बच्चे और महिलाएं हैं।