केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश की आर्थिक स्थिति को लेकर बड़ा बयान दिया।
मुद्रास्फीति के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के तहत एक महीने को छोड़कर, यह कभी भी सहनशील सीमा को पार नहीं कर पाई।
2014 से पहले अर्थव्यवस्था खराब स्थिति में थी और मुद्रास्फीति दोहरे अंकों में थी। सीतारमण ने कहा, ‘उस समय (2014 से पहले) किसी को भी देश से कोई उम्मीद नहीं थी।
बहुत कड़ी मेहनत के बाद, हम दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर उभरे हैं। आत्मविश्वास से कह रहे हैं कि अगले 2 से ढाई साल में हम तीसरे स्थान पर होंगे।’
उन्होंने केंद्र सरकार की नीतियों की जमकर प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की 10 साल की प्रगति हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के लिए एक लेसन है।
रोजगार के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि औपचारिक और अनौपचारिक दोनों क्षेत्रों के आंकड़ों में कमी है, लेकिन केंद्र की पहल से लाखों लोगों को रोजगार मिला है।
उन्होंने कहा कि केंद्र ने भारत को मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस को लेकर आकर्षक गंतव्य बनाने के लिए नीतियां तैयार की हैं। न केवल घरेलू बाजार के लिए बल्कि निर्यात के लिए भी उत्पादन करने पर सरकार का जोर है।
वह अमेरिकी उद्योगपति एलन मस्क के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी बैठक स्थगित करने पर सवाल का जवाब दे रही थीं। टेस्ला के CEO मस्क ने शनिवार को कहा कि कंपनी के भारी दायित्वों के कारण उनकी भारत यात्रा में देरी हो रही है।
वित्त मंत्री बोलीं- जब बड़ी कंपनियां भारत में रुचि दिखाएंगी तो…
निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘निवेश आकर्षित करने के लिए नीतियां बनाई गई हैं। हम चाहते हैं कि मैन्युफैक्चरर और निवेशक न केवल भारत के लिए, बल्कि यहां से निर्यात करने के लिए भी आएं और उत्पादन करें।
हम नीतियों के जरिए इसे आकर्षित करने का प्रयास करेंगे।’ उन्होंने कहा कि जब बड़ी कंपनियां भारत आने में रुचि दिखाती हैं, तो हम उनके लिए यहां आने और निवेश को आकर्षक बनाने के लिए सब कुछ करेंगे। वित्त मंत्री ने कहा कि इस प्रक्रिया में अगर चर्चा करने के लिए कुछ भी होगा, तो हम निश्चित रूप से चर्चा करेंगे। हमने जो भी किया है, नीति के जरिए किया है।
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