इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में गहराते खतरे को लेकर जापान और चीन के बीच ठन गई है।
इस क्षेत्र में उत्पन्न खतरे के बारे में जापान के हालिया मूल्यांकन को चुनौती देते हुए चीन ने इसे पूरी तरह से खारिज कर दिया। चीन का दावा है कि जापान की तरफ से रिपोर्ट झूठी है।
बताते चलें की मंगलवार को जापानी विदेश मंत्रालय की वार्षिक डिप्लोमैटिक ब्लूबुक (जापान में विदेश मंत्रालय द्वारा प्रकाशित जापान की विदेश नीति और अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति पर एक वार्षिक रिपोर्ट) के अनुसार, चीन की सैन्य गतिविधियों को सबसे बड़ी रणनीतिक चुनौती के रूप में वर्णित किया गया है।
जापान ने जताया इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में गहराते खतरे का डर
हालांकि, वॉयस ऑफ अमेरिका के अनुसार, रिपोर्ट का आधिकारिक अंग्रेजी संस्करण सार्वजनिक नहीं किया गया है। ब्लूबुक में कथित तौर पर दक्षिण चीन सागर में चीन की कार्रवाइयों और पूर्व और दक्षिण चीन सागर में यथास्थिति को बदलने के उसके प्रयासों की आलोचना की गई है।
इसके बाद, जापानी मीडिया का कहना है कि 2019 के बाद पहली बार, जापान सामान्य रणनीतिक हितों के आधार पर चीन के साथ पारस्परिक रूप से लाभकारी संबंध बनाना चाहता है।
चीन ने जापान के दावे को किया खारिज
वॉयस ऑफ अमेरिका के अनुसार, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने मंगलवार को एक समाचार ब्रीफिंग के दौरान जापान की आलोचनाओं को खारिज कर दिया।
लिन ने कहा, “जापान ने अपने 2024 डिप्लोमैटिक ब्लूबुक में चीन के खिलाफ वही पुराने झूठे आरोप और चीनी खतरे के प्रचार का सहारा लिया है।”
इसके अलावा चीन ने पुष्टि की, “हम जापान से आग्रह करते हैं कि वह अपनी गलत कार्रवाई को बदले, गुट टकराव को बढ़ावा देना बंद करे। वास्तव में चीन के साथ पारस्परिक लाभ के रणनीतिक संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हो और एक रचनात्मक और स्थिर चीन-जापान संबंध बनाने के लिए काम करे जो आपसी हित के लिए जरूरी है।”
जापान हो गया है अलर्ट
जापान कार्यक्रम के निदेशक युकी तात्सुमी ने कहा, “पहले बीजिंग के आक्रामक व्यवहार में तेजी के कारण पिछले कुछ वर्षों से सैन्य और अर्धसैनिक दोनों को लेकर दक्षिण चीन सागर में चीनी व्यवहार के बारे में जापान की चिंताएं तेज हो गई हैं। इसके अलावा, ताइवान के प्रति बीजिंग की बढ़ती शत्रुतापूर्ण और आक्रामक बयानबाजी और व्यवहार की वजह से जापान अलर्ट हो गया है।”
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