इसरो ने एक बार फिर कमाल कर दिया है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने आरएलवी पुष्पक की सफल लैंडिंग कर दी है।
इसरो ने रविवार 23 जून को रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल (RLV) की लगातार तीसरी बार लैंडिंग एक्सपेरिमेंट में सफलता हासिल की।
इससे पहले 22 मार्च को इसरो ने इसकी दूसरी सफल लैंडिग की थी। रविवार को लैडिंग के बाद इसरो ने कहा कि लैंडिंग के लिए काफी मुश्किल परिस्थितियां पैदा की गई थी लेकिन, चुनौतीपूर्ण परिस्थियों में तेज हवाओं के बीच ऑटोमैटिक लैंडिंग कराई गई।
जानकारी के अनुसार, इसरो की तरफ से आरएलवी पुष्पक विमान का परीक्षण सुबह 7.10 बजे बेंगलुरु से लगभग 220 किमी दूर चित्रदुर्ग जिले के चल्लाकेरे में एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (एटीआर) में किया गया था। विमान को भारतीय वायुसेना के चिनूक हेलिकॉप्टर से 4.5 किमी की ऊंचाई तक ले जाया गया और रनवे पर लैंडिंग के लिए छोड़ा गया।
क्या है आरएलवी परियोजना
इसरो की आरएलवी परियोजना एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। यह अंतरिक्ष में मानव की निरंतर उपस्थिति की आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करेगा। भारत की महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए यह मिशन बेहद जरूरी है।
RLV-LEX-03 का उद्देश्य वाहन के प्रदर्शन, मार्गदर्शन और लैंडिंग क्षमताओं में सुधार करना है। आरएलवी को विकसित करने वाले विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (वीएसएससी) के निदेशक एस उन्नीकृष्णन नायर ने कहा कि दूसरी लैंडिंग की तुलना में, आरएलवी-एलईएक्स3 अधिक चुनौतीपूर्ण रहा क्योंकि LEX-02 के दौरान लगभग 150 मीटर की तुलना में इस बार इसका परीक्षण 500 मीटर के साथ किया गया।
इसरो ने क्या कहा
लैंडिंग के बाद इसरो ने कहा, “आरएलवी-एलईएक्स-03 की अधिक चुनौतीपूर्ण परिस्थियों में तेज हवाओं के साथ ऑटोमैटिक लैंडिंग कराई गई। आरएलवी ‘पुष्पक’ वाहन को भारतीय वायुसेना के चिनूक हेलीकॉप्टर से 4.5 किमी की ऊंचाई पर छोड़ा गया था। इसरो ने कहा, “कम लिफ्ट-टू-ड्रैग अनुपात के कारण लैंडिंग की रफ्तार 320 किमी प्रति घंटे से अधिक थी। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक कमर्शियल विमान की लैंडिंग रफ्तार 260 किमी प्रति घंटे रहती है। जबकि एक लड़ाकू विमान की लैंडिंग रफ्तार 280 किमी प्रति घंटे रहती है।”
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