स्विट्जरलैंड की एक अदालत ने शुक्रवार को हिंदुजा परिवार के चार सदस्यों को घरेलू नौकरों का शोषण करने के आरोप में साढ़े चार साल तक की जेल की सजा सुनाई है।
नौकरों का शोषण उनके जिनेवा स्थित विला में किया गया था। हालांकि, आपराधिक अदालत ने अरबपति परिवार के सदस्यों को नौकरों की अवैध मानव तस्करी के आरोपों में बरी कर दिया। इन नौकरों में से अधिकतर अशिक्षित भारतीय थे, जो जिनेवा में उनके आलीशान झील किनारे स्थित विला में काम करते थे।
समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस के अनुसार, परिवार के चार सदस्यों में से कोई भी जिनेवा की अदालत में मौजूद नहीं था। हालांकि मामले में पांचवें आरोपी नजीब जियाजी अदालती कार्यवाही में शामिल हुए। जियाजी हिंदुजा परिवार के बिजनेस मैनेजर हैं।
उन्हें 18 महीने की निलंबित सजा सुनाई गई। निलंबित सजा एक कानूनी व्यवस्था है जिसमें किसी व्यक्ति को किसी अपराध के लिए दोषी पाए जाने पर जेल की सजा नहीं दी जाती है, लेकिन भविष्य में उस अपराध के लिए उसे सजा दी जा सकती है।
स्विट्जरलैंड की अदालत ने भारतीय मूल के व्यवसायी प्रकाश हिंदुजा, उनकी पत्नी, बेटे और बहू को श्रमिकों का शोषण करने और अनधिकृत रोजगार प्रदान करने का दोषी पाया।
हालांकि मानव तस्करी के आरोपों को खारिज कर दिया गया। अदालत ने कहा कि कर्मचारी उन शर्तों को समझते थे जिन पर वे सहमत होकर काम करने आए थे।
हिंदुजा परिवार दशकों से स्विट्जरलैंड में रह रहा है। उन पर श्रमिकों के पासपोर्ट जब्त करने, उन्हें स्विस फ्रैंक के बजाय रुपये में भुगतान करने, उनकी आवाजाही पर बैन लगाने और उन्हें कम वेतन पर अत्यधिक लंबे समय तक काम करने के लिए मजबूर करने का आरोप लगा था।
उनसे ज्यादा देर काम करवाकर केवल 8 डॉलर (करीब 650 रुपये) प्रति दिन के हिसाब से पैसे दिए। प्रशासन का ये भी आरोप है कि हिंदुजा परिवार ने इन लोगों के पासपोर्ट रख लिए थे और इनके कहीं आने-जाने पर पाबंदियां लगा दी थीं।
प्रकाश हिंदुजा को पहले भी 2007 में इसी तरह के, हालांकि कमतर आरोपों में दोषी ठहराया गया था, लेकिन वकीलों का आरोप है कि उन्होंने उचित दस्तावेज के बिना लोगों को काम पर रखना जारी रखा।
पिछले हफ्ते यह पता चला कि परिवार ने पीड़ितों के साथ एक अघोषित समझौता कर लिया है। स्विस अधिकारियों ने पहले ही हीरे, माणिक (Ruby) और एक प्लैटिनम हार सहित कई संपत्तियां जब्त कर ली हैं, जिनका इस्तेमाल कानूनी फीस और संभावित दंड को कवर करने के लिए किया जा सकता है।
सरकारी वकीलों के अनुसार, रसोइयों और घरेलू सहायकों सहित कर्मचारियों को कभी-कभी बहुत कम या बिना छुट्टी के दिन में 18 घंटे तक काम करने के लिए मजबूर किया जाता था।
उन्हें स्विस कानून के तहत आवश्यक राशि का दसवां हिस्सा से भी कम भुगतान किया जाता था। कुछ कर्मचारी कथित तौर पर अपस्केल कोलोग्नी स्थित कोठी के बेसमेंट में सोते थे, कभी-कभी फर्श पर गद्दे बिछाकर सोते थे।
कुछ कर्मचारी कथित तौर पर केवल हिंदी बोलते थे। उन्हें पैसे भारत स्थित बैंक खाते में दिए जाते थे जिनका वे इस्तेमाल तक नहीं कर पाते थे।
स्विस अधिकारियों द्वारा लाया गया एक अलग टैक्स का मामला प्रकाश हिंदुजा के खिलाफ लंबित है। प्रकाश हिंदुजा ने 2000 में स्विस नागरिकता प्राप्त की थी। हिंदुजा परिवार, जिसमें प्रकाश और उनके तीन भाई शामिल हैं, वे विभिन्न क्षेत्रों में फैले एक औद्योगिक समूह का नेतृत्व करते हैं। फोर्ब्स पत्रिका ने उनकी कुल संपत्ति का अनुमान लगभग 20 बिलियन डॉलर लगाया है।
हिंदुजा ग्रुप को संस्थापक परमानंद दीपचंद हिंदुजा अविभाजित भारत में सिंध के प्रसिद्ध शहर शिकारपुर में पैदा हुए थे। 1914 में, उन्होंने भारत की व्यापार और वित्तीय राजधानी, बॉम्बे (अब मुंबई) की यात्रा की। हिंदुजा ग्रुप को वेबसाइट के अनुसार वहां उन्होंने जल्दी ही व्यापार की बारीकियां सीख लीं।
हिंदुजा परिवार की जड़ें भारत में हैं और इसी नाम से एक कारोबारी घराना भी चलाता है, जो कई सारी कंपनियों का एक समूह है। इसमें कंस्ट्रक्शन, कपड़े, ऑटोमोबाइल, ऑयल, बैंकिंग और फ़ाइनेंस जैसे सेक्टर भी शामिल हैं।
इंसानों से ज्यादा कुत्तों पर खर्च
स्विस सरकारी वकील यवेस बर्टोसा के अनुसार, परिवार ने कथित तौर पर अपने पालतू कुत्ते पर अपने एक नौकर को दिए गए वेतन से ज्यादा पैसे खर्च किए।
बर्टोसा ने यह जानकारी भारतीय कर्मचारियों की कथित तस्करी और शोषण से संबंधित एक मुकदमे के दौरान पेश की। सोमवार को अभियोक्ता ने हिंदुजा परिवार की हरकतों की तीखी आलोचना की थी और इसमें शामिल लोगों के लिए साढ़े पांच साल तक की जेल की सजा की सिफारिश की थी।
बर्टोसा की दलीलें कर्मचारियों और हिंदुजा परिवार द्वारा दी गई गवाही और मामले की जांच के दौरान जुटाए गए सबूतों पर आधारित थीं।
वकील ने कहा, “उन्होंने एक कुत्ते पर अपने एक नौकर से भी ज्यादा खर्च किया।” उन्होंने कहा कि महिला को एक समय में 7 स्विस फ्रैंक ($7.84) के बराबर भुगतान किया जाता था, जो सप्ताह में सात दिन हर रोज 18 घंटे काम करती थीं।
उन्होंने “पालतू जानवर” के बजट की ओर इशारा किया, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि परिवार ने अपने पालतू कुत्ते पर एक साल में 8,584 स्विस फ्रैंक खर्च किए।
बर्टोसा ने आगे कहा कि कर्मचारियों के कॉन्ट्रैक्ट में काम के घंटे या छुट्टी के दिन तय नहीं थे, बल्कि यह था कि वे अपने मालिकों की जरूरत के अनुसार उपलब्ध रहें।
चूंकि उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए गए थे, उनके पास खर्च करने के लिए कोई स्विस फ्रैंक नहीं था और वे अपने मालिक की अनुमति के बिना घर से बाहर नहीं जा सकते थे। उनके पास बहुत कम या कोई आजादी नहीं थी।
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