फ्रांस में हिजाब को लेकर विवाद का नया मामला सामने आया है।

इस बार खुद फ्रांस के प्रधानमंत्री गेब्रियल अटाल ने मोर्चा संभाला है। गेब्रियल ने कहा कि एक मुस्लिम लड़की के खिलाफ मुकदमा दायर किया जाएगा और उसे अदालत के सामने पेश किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि लड़की ने हिजाब को लेकर अपने स्कूल के प्रिंसिपल पर दुर्व्यवहार का झूठा आरोप लगाया था। दरअसल प्रिंसिपल ने मुस्लिम छात्रा से कहा था कि वह स्कूल कैंपस के अंदर अपना हिजाब उतार दे।

वहीं लड़की ने आरोप लगाया कि प्रिंसिपल ने इस दौरान उसके साथ दुर्व्यवहार किया।

फ्रांस के प्रधानमंत्री ने टीएफ1 टेलीविजन चैनल से बात करते हुए कहा, “देश… हमेशा इन अधिकारियों के साथ खड़ा रहेगा। ये अधिकारी धर्मनिरपेक्षता के इन उल्लंघनों को रोकने और हमारे शिक्षा प्रतिष्ठानों में इस्लामी प्रवेशवाद के इन प्रयासों का सामना करने में सबसे आगे खड़े हैं।”

CNBC की रिपोर्ट के मुताबिक, मामला राजधानी पेरिस के एक स्कूल का है। यहां प्रिंसिपल ने छात्रा से जोर देकर कहा था कि वह फ्रांसीसी कानून के अनुसार कैंपस में अपना मुस्लिम हिजाब हटा दे।

हालांकि, बाद में उन्हें सोशल मीडिया पर जान से मारने की धमकियां मिलने लगीं। इसके चलते उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। 

पूरे यूरोप में सबसे ज्यादा मुसलमान फ्रांस में रहते हैं। फ्रांस में धर्मनिरपेक्षता और धर्म प्रमुख मुद्दे रहे हैं। इसी तरह के मामलों को लेकर पिछले कुछ वर्षों में सैमुअल पैटी और डोमिनिक बर्नार्ड नाम के दो शिक्षकों की हत्या की जा चुकी है। इन हत्याओं के बाद से अधिकारियों ने फ्रांसीसी स्कूलों पर खतरे को गंभीरता से लिया है।

ताजा मामले में स्कूल के प्रिंसिपल की पहचान उजागर नहीं की गई है। प्रिंसिपल ने पिछले हफ्ते अपने सहकर्मियों को एक ईमेल में लिखा था। उन्होंने लिखा, “मैंने आखिरकार अपनी सुरक्षा और प्रतिष्ठान की चिंता के कारण अपने कार्यों को छोड़ने का फैसला किया है।”

यह घटना 28 फरवरी को हुई जब उन्होंने तीन छात्राओं को नियमों का पालन करने और हिजाब हटाने के लिए कहा था। हालांकि दो छात्राओं ने उनकी बात मान ली, लेकिन तीसरी छात्रा ने ऐसा नहीं किया। इसके बाद दोनों के बीच विवाद हो गया। अगले कुछ दिनों में स्कूल प्रमुख को सोशल मीडिया पर जान से मारने की धमकियां मिलने लगीं। 

अधिकारियों ने बताया कि जान से मारने की धमकी के मामले में अब तक दो लोगों को हिरासत में लिया गया है। हालांकि उनकी पहचान अभी तक उजागर नहीं की गई है, लेकिन शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि वे स्कूल से जुड़े नहीं हैं।

जांच के बाद अधिकारियों को इस बात का कोई सबूत नहीं मिला कि प्रिसिंपल ने छात्रा को मारा था। अब, फ्रांस के प्रधानमंत्री ने हस्तक्षेप किया है और कहा है कि झूठे आरोप लगाने के लिए छात्र को अदालत में ले घसीटा जाएगा।