मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार की अगुवाई में चुनाव आयोग का एक प्रतिनिधिमंडल इन दिनों जम्मू-कश्मीर के तीन दिवसीय दौरे पर है।
केंद्र शासित प्रदेश में आगामी लोकसभा चुनावों की तैयारियों की समीक्षा के लिए आयोग के अधिकारियों ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों के साथ दो दिवसीय परामर्श शुरू किया।
इस दौरान भाजपा समेत कई राजनीतिक दलों ने आयोग से जम्मू-कश्मीर में लोकसभा चुनाव के साथ-साथ विधानसभा चुनाव कराने का आग्रह किया।
भाजपा ने भी लोकसभा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए एक साथ चुनाव कराने पर सहमति जताई है।
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार से मुलाकात करने वालों में नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के नेता भी शामिल हैं।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे पार्टी नेता और पूर्व मंत्री नासिर असलम वानी ने कहा कि उन्होंने निर्वाचन आयोग को लोकसभा चुनावों के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने की भी मांग की है।
चुनाव आयोग से मुलाकात के बाद वानी ने कहा, “यहां के लोगों को करीब एक दशक से अपनी सरकार चुनने का अधिकार नहीं मिल सका है।
इसलिए हमने सुझाव दिया कि लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनाव भी कराए जाने चाहिए।” उन्होंने कहा, “अगर प्रधानमंत्री मोदी ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ लागू करना चाहते हैं, तो इसकी शुरुआत जम्मू-कश्मीर से करें।”
उन्होंने यह भी कहा कि दो बार अलग-अलग चुनाव कराने से जम्मू-कश्मीर में आर्थिक गतिविधि, खासकर पर्यटन बाधित होगा।
दूसरी तरफ, पीडीपी नेता गुलाम नबी लोन हंजुरा ने कहा कि उनकी पार्टी ने भी विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ कराने की वकालत की। बैठक के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘इस पर अब निर्वाचन आयोग को फैसला करना है।’’
भाजपा नेता आरएस पठानिया ने कहा कि पार्टी एक साथ चुनाव के लिए तैयार है। उन्होंने आरोप लगाया कि नेशनल कॉन्फ्रेन्स, पीडीपी और कांग्रेस धोखेबाज है जिन्होंने जम्मू-कश्मीर के लोगों को मूर्ख बनाने के लिए आधे-अधूरे सच के नाम पर झूठ फैलाया है।
भाजपा नेता ने मांग की कि केंद्र शासित प्रदेश के बाहर उन स्थानों पर मतदान केंद्र स्थापित किए जाएं, जहां कश्मीरी पंडित समुदाय के सदस्य रह रहे हैं ताकि उन्हें मतदान करने में आसानी हो।
अधिकारियों ने बताया कि राजनीतिक दलों के साथ बैठक के बाद निर्वाचन आयोग जिला निर्वाचन अधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों के साथ चुनावी तैयारियों की विस्तृत समीक्षा करेगा।
बुधवार शाम को निर्वाचन आयोग के अधिकारी जम्मू-कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी पीके पोल और राज्य पुलिस के नोडल अधिकारियों के साथ बातचीत करेंगे।
बता दें कि जम्मू-कश्मीर में पिछला विधानसभा चुनाव 2014 में हुआ था। चुनाव बाद राज्य में पीडीपी और बीजेपी की गठबंधन सरकार बनी थी।
हालांकि, 2018 के जून में गठबंधन सरकार गिर गई और तब से वहां कोई चुनी हुई सरकार नहीं है। अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 हटाने के साथ ही केंद्र सरकार ने राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया था।
पिछले साल दिसंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2024 तक विधानसभा चुनाव कराने का आदेश दिया है।