नई दिल्ली। कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा ने राहुल गांधी की प्रशंसा करते हुए कहा है कि वे अपने पिता राजीव गांधी से अधिक बुद्धिमान हैं। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी भारत की अवधारणा के संरक्षक हैं। पित्रोदा का मानना है कि राहुल गांधी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से अधिक बुद्धिमान हैं और रणनीति बनाने में भी उनसे बेहतर हैं।

उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि राहुल गांधी, जो लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं, में प्रधानमंत्री बनने के सभी गुण मौजूद हैं। ‘इंडियन ओवरसीज कांग्रेस’ के अध्यक्ष पित्रोदा ने भाजपा के उन आरोपों को गलत ठहराते हुए खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि राहुल गांधी ने अपनी पिछली विदेश यात्राओं के दौरान भारत सरकार की आलोचना की थी।

राहुल गांधी अगले सप्ताह अमेरिका की यात्रा पर जा रहे हैं। पित्रोदा ने बताया कि यह यात्रा आधिकारिक नहीं है, लेकिन इस दौरान उन्हें कैपिटल हिल (अमेरिकी संसद) में विभिन्न लोगों से व्यक्तिगत रूप से बातचीत करने का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी राष्ट्रीय प्रेस क्लब में प्रेस के साथ चर्चा करेंगे, थिंक टैंक के लोगों से मिलेंगे और वाशिंगटन डीसी में जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में भी लोगों को संबोधित करेंगे।

यह यात्रा राहुल गांधी की लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में पहली अमेरिका यात्रा होगी। वह आठ से 10 सितंबर तक अमेरिका में रहेंगे, जहां वे जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय और टेक्सास यूनिवर्सिटी में संवाद करेंगे और वाशिंगटन डीसी और डलास में कई महत्वपूर्ण बैठकों में शामिल होंगे।

राजीव गांधी और राहुल गांधी के बीच समानताओं और भिन्नताओं के बारे में पूछे जाने पर पित्रोदा ने कहा कि उन्होंने राजीव गांधी, पीवी नरसिम्हा राव, मनमोहन सिंह, वीपी सिंह, चंद्रशेखर और एचडी देवेगौड़ा जैसे कई प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया है।

उन्होंने कहा, ‘मुझे कई प्रधानमंत्रियों के साथ करीब से काम करने का अवसर मिला है, लेकिन राहुल और राजीव के बीच अंतर यह है कि राहुल अधिक बुद्धिमान और बेहतर रणनीतिकार हैं। राजीव गांधी काम पर अधिक विश्वास रखते थे। दोनों का डीएनए एक जैसा है, उनके लोगों के प्रति भावनाएं समान हैं, और वे वास्तव में सभी के लिए एक बेहतर भारत बनाने में विश्वास रखते हैं। वे सरल और बिना किसी बड़ी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं वाले लोग हैं।’

आगे पित्रोदा ने कहा, ‘राहुल अपने पिता राजीव से बेहतर रणनीतिकार हैं। दोनों अलग-अलग दौर के नेता हैं, जिन्होंने अलग-अलग मुद्दों का सामना किया और उनके अनुभव भी अलग-अलग रहे हैं। राहुल को जीवन में दो बड़े झटके (अपनी दादी और पिता की मृत्यु) झेलने पड़े, इसलिए उनके सामने अलग-अलग चुनौतियां रही हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि राहुल और राजीव के सिद्धांत एकदम स्पष्ट हैं, दोनों कांग्रेस की उस अवधारणा के संरक्षक हैं जिसकी कल्पना कांग्रेस ने की थी और पार्टी के हर नेता का उसमें विश्वास था।